मैं

Cleric
Apr 9, 2021

रू-ब -रू-ए-आइना कभी मैं, कभी खुद ही अक्श अपना

कभी ख्वाब-नोश मैं, कभी खुद ही एक सपना

कभी हूँ मैं तमाशा, और कभी मैं तमाशाई

कभी बाज़ीचा-ए-अतफाल मैं, कभी नाज़रीनों में मैं

कभी मैं इशारा, और कभी निशाना

कभी भीड़ से अलग मैं, कभी हमनफ़स-ए-ज़माना

कभी जा रहा हूँ वहाँ जहां ले चले फ़साना

और कभी लिक्खुं इक बेइन्तिहाँ तराना

कभी गर्द-ए-दश्त हूँ मैं, कभी हूँ मैं आशियाना

कभी हूँ मैं गर्दिश, और कभी मैं ठिकाना

कभी लबलबाता सागर, तो कभी खाली पड़ा पैमाना

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